रावण की महानता
Written by
Brij Sachdeva
दशहरा त्योहार भारत में हर साल बुराई पर अच्छाई की जीत के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है। लेकिन बहुत लोग ऐसे हैं जो एक धर्म के अति मौलिक ज्ञान (Fundamental wisdom) का खंडन करने पर आमादा हैं।
दशहरा के आसपास के दिनों में, रावण की महानता के बारे में कई मीडिया फाइलें और संदेश वायरल हो जाते हैं कि वह इस अर्थ में महान था कि उसने सीता की शुद्धता का उल्लंघन नहीं किया। लोग अपनी सामान्य बुद्धि या अपनी खोपड़ी में पड़ी चीज़ का प्रयोग किए बिना इन फ़ाइलों को अग्रेषित (forward) करते रहते हैं। दरअसल, रावण एक श्राप के प्रभाव से बाधित था, जिसने उसे सीता को इस तरह का नुकसान पहुंचाने से रोका हुआ था। महाकाव्य रामायण में, रावण द्वारा साम्भा की शुद्धता का उल्लंघन किया जाता है, जिसे श्राप दिया जाता है कि यदि वह फिर से किसी अन्य महिला का उल्लंघन करता है, तो उसका सिर फट जाएगा। यह अभिशाप रावण द्वारा अपहरण किए जाने पर, सीता की शुद्धता की रक्षा करता है।
धर्मों के अपने तरीके हैं। अगर कोई भी धर्म किसी भी तरीके से मानव को मानवता सिखाने का काम करता है तो उसका खंडन करने में किसी को क्या मतलब दिखता होगा। यह सोचने वाली बात है।
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