सत्य और तथ्य
Written by
Brij Sachdeva
मान लीजिए, कुछ आपातकालीन आवश्यकता के लिए, आपने अपने सोने के ज़ेवरों को बेचने का फैसला किया है। अब हाथ में सोने के ज़ेवरों से भरा एक पैकेट लिए जैसे ही आप अपने घर से निकलते हैं आपको एक परिचित व्यक्ति मिल जाता है। वह संयोग से पूछता है, "यह क्या है जो आप इस पैकेट में ले जा रहे हैं?" अब, आप जानते हैं कि यह व्यक्ति भरोसेमंद नहीं है। आप उसे यह कहकर नाराज नहीं कर सकते कि वो कौन होता है पूछने वाला, क्यूँकि इससे स्थिति और भी खराब हो सकती है। आप डरते हैं कि वह चोर हो सकता है। तब आप क्या करेंगे? क्या आप उसे बताएंगे कि आप सोना लेकर जा रहे हैं, ताकि उसे आपका सोना चुराने का मौका मिल जाए? तो आप उसे कह देते हैं कि आप अपने जूते मरम्मत के लिए लेकर जा रहे हैं। अब तथ्य यह है कि पैकेट में सोना है। यह FACT यानी तथ्य है। लेकिन, आपके द्वारा उस व्यक्ति को जो वास्तव में बताया गया है कि उस पैकेट में जूते है, वो वास्तव में ‘TRUTH’ यानी सत्य है। यह सत्य है क्योंकि यह आपका धर्म (DHARMA) है। यह सत्य है क्योंकि आप सत्य के मार्ग पर चल रहे हैं। कभी-कभी आपको सत्य के मार्ग पर चलने के लिए झूठ भी बोलना पड़ता है।
दरअसल, तथ्य और में सत्य में यही अंतर है।
अब इसी तथ्य को एक अलग संदर्भ या स्थिति में देखें। मान लीजिए उपरोक्त स्थिति में रास्ते में कोई चोर आपके सोने के पैकेट को छीन लेता है और भाग जाता है। अब पुलिस स्टेशन में एफआईआर दर्ज कराते समय, यदि आप यह बताएंगे कि पैकेट में जूते हैं, तो आप बर्बाद हो सकते हैं। इस स्थिति में, तथ्य को जैसा है वैसा ही बताना, आपका सत्य है। यह आपका धर्म है।
तथ्य हर स्थिति, समय और स्थान पर समान रहता है, लेकिन सत्य बदलता रहता है।सत्य एक प्रवाह है। यह हर पल बदलता है। यह खुद को एक स्थिति में एक तरह से, एक निश्चित स्थान पर अन्य तरह से और अन्य स्थिति या स्थान पर अलग तरह से प्रकट करता है।
सत्य का पालन करने का मतलब यह नहीं है कि आपको झूठ नहीं बोलना चाहिए। इसका सीधा सा मतलब है कि आपको अपना खुद का सत्य ढूंढना होगा और फिर उसका पालन करना होगा। सत्य एक निरंतर प्रवाह है। अपने जीवन की स्थिति या अपने स्वयं के सत्य को खोजने का मतलब यह नहीं है कि एक बार जब आप इसे पा लेते हैं, तो यह सदा के लिए प्रयोग करने के लायक़ ख़ज़ाना बन जाता है। यह हर पल बदलता है। अगर इस पृथ्वी पर आठ अरब लोग हैं, तो हर पल आठ अरब सत्य हैं। अगला पल नए आठ बिलियन सत्य लाने वाला है। यदि इस क्षण आपके लिए कुछ सही है, तो यह आपके लिए अगले ही पल गलत हो सकता है। वास्तव में सभी धर्मों के अनुसार सत्य का जो अर्थ है, वो यही है।
Nice👍
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