आसान है खंडन करना

आसान है खंडन करना
Written by
Brij Sachdeva 

• किसी वक्ता या लेखक द्वारा उल्लेख किए गए कथन में     विरोधाभास को खोजने में क्या लगता है?

 • किसी धर्म के मौलिक ज्ञान का खंडन करने में किसी अक़्ल नाम की चीज़ की आवश्यकता पड़ती है क्या?

 • पुष्टि पूर्वाग्रह (Confirmation bias) और पूरी तरह से बंद दिमाग (Completely Closed Mind) के साथ दूसरों की आलोचना करने में किसी का कुछ लगता है क्या?

 • जब हमें किसी की स्थिति का समर्थन करना होता है, उसके लिए अस्पष्ट साक्ष्य (Ambiguous Evidence) और भ्रमपूर्ण सहसंबंध (Illusory Correlation) का उपयोग करने में उस पदार्थ की ज़रा सी भी आवश्यकता नहीं पड़ती जो खोपड़ी में भरा पड़ा है।





  खंडन करना आसान है।
  आदर करना कठिन है।

 किसी भी चीज का खंडन करने के लिए न्यूनतम बुद्धि की आवश्यकता पड़ती है। यदि आप थोड़े से भी चतुर हैं, तो आप किसी भी स्थिति या कथन में हज़ारों विरोधाभास ढूँढ सकते हैं जो आपके पक्षपात या पुष्टि पूर्वाग्रह (Confirmation bias ) का समर्थन नहीं करते है। यह सबसे आसान कामों में से एक है। इसमें कोई महानता नहीं है। लोग इसे बहुत आसानी से संदर्भ और परिप्रेक्ष्य ( Context and perspective) से बाहर जा कर अपनी अज्ञानता और आत्मविश्वास का भरपूर उपयोग करते हुए हर दिन करते हैं। जहां तक ​​मेरे विचार का संबंध है, मुझे लगता है कि ऐसा कोई बिंदु नहीं है जिसे सफलतापूर्वक नकारा नहीं जा सकता।

 उदाहरण के लिए, अगर मैं कहता हूं, एक बिजली के पंखे की ओर इशारा करते हुए, कि यह एक पंखा है; आप ग़ायब स्क्रू जैसा कुछ ढूँढ सकते हैं और मेरे कथन का यह कह कर खंडन कर सकते हैं कि हम इसे पंखा नहीं कह सकते क्योंकि एक स्क्रू गायब है। यदि मैं जोर देता हूं कि यह स्पष्ट है कि यह एक पंखा है, तो आप मुझसे यह पूछकर अपनी बात साबित कर सकते हैं कि "यदि सभी पर (Blades) ग़ायब हों तो?" अगर मैं आगे जोर देता हूं तो - "अगर मोटर भी गायब है तो?" निश्चित रूप से, जब आप पंखे के पर और बॉडी को निकाल देते है तो आप इसे पंखा नहीं कह सकते। ज़्यादा से ज़्यादा आप यह कह सकते हैं कि यह पंखे का एक  हिस्सा है।  फिर एक पेंच के ग़ायब होने पर आप इसे पंखा कैसे कह सकते हैं? जब ‘द शिप ऑफ थीसियस’ के हिस्सों को एक-एक करके हटाकर उनकी जगह नए हिस्से लगाए गए, तो सवाल उठा कि क्या यह जहाज मूल जहाज था या नहीं।

इसलिए, दूसरों के बयानों और विचारों का खंडन करना सबसे आसान काम है। लोग इसे नियमित बातचीत में भी इतनी सहजता और तीव्रता  के साथ करते हैं कि वे खुद नहीं जानते कि वे बिना किसी परिश्रम के  उसे कैसे कर रहे हैं।

  यहाँ एक उदाहरण है इसके प्रति आपकी संवेदनशीलता को जगाने के लिए। एक दिन मैं अपने दोस्तों को अस्तित्व के परिप्रेक्ष्य में भ्रष्टाचार के अर्थ के बारे में समझा रहा था जो आर्थिक दृष्टिकोण से बहुत परे है। मैंने कहा, "जैसे आग गर्म होती है और पानी नीचे की ओर बहता है, वैसे ही मनुष्य स्वभाव से अनिवार्य रूप से भ्रष्ट है"। मेरे एक मित्र ने यह कहते हुए मेरे कथन का खंडन किया, "हम मोटर पंप का उपयोग करके पानी के बहाव को ऊपर की ओर कर देते हैं"।  मैंने कहा, "यह मोटर का स्वभाव है, पानी का नहीं”। इतनी खूबसूरती से खंडन भी हो गया और जो समझाने का प्रयास मैं कर रहा था, उसका तो मुद्दा ही न रहा।

 इसलिए यह वह तरीका है जिससे हम संदर्भ और परिप्रेक्ष्य से बाहर जाकर महत्व, अभिव्यक्ति की सुंदरता और वक्ता या लेखक की भावनाओं के प्रति असंवेदनशील हो जाते हैं, खासकर जब हम विरोधाभासों को खोजने पर आमादा होते हैं, और तर्क के लिए अक्षम होते हैं  ।

 हम संदर्भ, परिप्रेक्ष्य और उस गहराई का सम्मान नहीं करते हैं जिससे लेखक या वक्ता एक विशेष परिस्थिति का वर्णन कर रहा है।


 RAVANA DELUSION ( Brij Sachdeva Blog) नाम की मेरी ब्लॉग पोस्ट में मैंने समझाया है कि लोग कितनी आसानी से एक धर्म के मौलिक ज्ञान का खंडन hकर सकते हैं, और  वो भी अज्ञानता का भरपूर उपयोग करते हुए।


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