कितना महत्वपूर्ण है इंसान
Written by
Brij Sachdeva
लगभग साढ़े छह करोड़ साल पहले, यह एक सुंदर सुबह थी और एक प्रबुद्ध डायनासोर द्वारा हजारों डायनासोरों की एक विशाल सभा को संबोधित किया जा रहा था। वह कह रहा था, "हम पिछले बीस करोड़ वर्षों से इस ग्रह पर शासन कर रहे हैं। हमने पूरी जमीन पर कब्जा कर लिया है। हमने आसमान पर भी कब्जा कर लिया है। समुद्र में, हमने अपना प्रभुत्व एक बड़ी सीमा तक स्थापित कर लिया है।"हम सृष्टि के सबसे महत्वपूर्ण प्राणी हैं।"
एक डायनासोर ने खड़े होकर पूछा, "प्रिय मास्टर, क्या इसका मतलब यह है कि भगवान हमें सबसे अधिक प्यार करते हैं?" निश्चित रूप से "गुरु ने जारी रखा," हम प्रकृति की सबसे श्रेष्ठ उत्कृष्टता हैं। हम क्रमागत उन्नति (Evolution) की पराकाष्ठा हैं। इस ग्रह पर हमारे वर्चस्व की सीमा इस बात का पर्याप्त प्रमाण है कि क्रमागत उन्नति अपने चरम पर पहुँच चुकी है”। शिष्यों के बीच तालियों का एक बड़ा दौर था।
अचानक सभी डायनासोर आसमान में ऊपर देखने लगे। वो आसमान से गिरने वाली एक विशाल पहाड़ीनुमा चट्टान को देखकर दंग रह गए। यह दस से पंद्रह किलोमीटर व्यास का एक क्षुद्रग्रह यानी उल्कापिंड (Asteroid) था। इससे पहले कि डायनासोर इस विशाल संरचना (उल्कापिंड) की एक झलक पाते, वह पृथ्वी से टकरा गया और कयामत पूरी पृथ्वी पर छा गई। पृथ्वी के साथ उल्कापिंड टकराने के बाद पूरी पृथ्वी एक साल तक टकराव से बनी धूल से ढक गई। इस ‘उल्कपिंड‘ के कारण कम से कम एक वर्ष के लिए पृथ्वी से सूर्य का गायब रहा। इस टक्कर से उत्तपन हुई ऊर्जा की तुलना में हमारे परमाणु बम कुछ भी नहीं हैं। डायनासोर सोचते थे कि वे अस्तित्व के सबसे महत्वपूर्ण जीव थे। वे हमेशा के लिए विलुप्त हो गए। क्या आप जानते हैं कि डायनासोर के विलुप्त होने के परिणाम से ही मानव अस्तित्व में आया? यदि डायनासोर जीवित होते, तो आज इस समय पृथ्वी पर कोई भी इंसान नहीं होता।
आदमी भी सोचता है कि वह सृष्टि का सबसे महत्वपूर्ण प्राणी है, जो एक मिथक है। यदि हम थोड़ी देर रुकते हैं और वास्तव में यह कल्पना करने की कोशिश करते हैं कि यह क्या है, जो कि सृष्टि में चल रहा है, तो हम जिस एकमात्र निष्कर्ष पर पहुंच सकते हैं, वह यह है कि यह एक अंतहीन घटना है।
शायद एक दिन आएगा जब रोबोट इतने परिष्कृत हो जाएंगे कि वे एक नए तरह के जीवन रूप में बदल जाएंगे। फिर कृत्रिम सामान्य बुद्धि (Artificial General Intelligence) मस्तिष्क की भूमिका निभा सकती है। फिर इस तरह के मस्तिष्क की कोई जरूरत नहीं होगी। सेरेब्रल कॉर्टेक्स (Cerebral cortex) सिकुड़ जाएगी क्योंकि इसे केवल निर्देशों का पालन करना होगा। रोबोट एक दूसरे को बनाने और स्थापित करने वाले तथा एक दूसरे की मरम्मत करने वाले होंगे। या फिर मानव भी किसी उल्कापिंड या महामारी के कारण, डायनासोर की तरह विलुप्त हो जाएंगे और नए जीवन रूप, मानव से अधिक विकसित, अधिक महत्वपूर्ण, अस्तित्व में आ जाएंगे।
इस बात की पूरी संभावना है कि हम जिन जीवन रूपों को जानते हैं, वे केवल अल्पविकसित (Rudimentary) हैं और सृष्टि किसी ऐसी चीज की ओर नियत (Destined) है, जिसके बारे में हमें कुछ भी पता नहीं है।
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Brij Sachdeva